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आ गया हूं फिर से एक बार शहर में तेरे ..

आ गया हूं फिर से एक बार शहर में तेरे

तेरी उदास इन गलियों और चौबार में तेरे


तुझ को अकेला ही निकलना पड़ेगा घर से

कोई भी यहां साथ नहीं देगा सफ़र में तेरे


मिज़ाज कुछ बदला हुआ हैं शहर का तेरा

एक हमही नहीं जो आए थे दीदार को तेरे


कब आएगा जानें वालें तूने ये बताया नहीं

सदियों से बैठा उसी राह पे मुंतजिर में तेरे


एक दफ़ा भी अपना नहीं कहा तुमने मुझको

आख़िर मैं क्यूं सब कुछ लुटा दूं निस

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