
जीवनसंगिनी जीवन में
कुछ ऊंच नीच गर हो जाये
कोई बात जो तुमको बुरी लगे
कोई गलती मुझसे हो जाये
याद रहे बस वो पल जिसमें
वचन दिया हम दोनों नें
इस जीवन कि उहा-पोह में
संयम कभी न तोड़ेंगे
चाहे कुछ भी हो जाये
हम साथ कभी न छोड़ेंगे।
हम तुम दूर रहे हैं अक्सर
पर दिल में तुम्हीं समायी हो
स्वप्न हो तुम जो रात को देखा
तुम दिन में मेरी परछाई हो
विरल पुष्प तुम दुर्लभ पंछी
शील सरित तरुणाई हो
इस रिश्ते में तुम भी मैं भी
तिन तिन सपने जोड़ेंगे
चाहे कुछ भी हो जाये
हम साथ कभी न छोड़ेंगे।
इक प्रेमिका से माँ तक तुममें
त्याग सभी मैंने देखे
प्रेम, ओज और सहनशीलता
भाव सभी मैंने देखे
जीवन सागर में जब भी
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