“चलतें हैं”
चलो आज एक दरिया पीने हम चलते हैं,
किनारों में बांध, उसे हासिल करने चलते हैं,
आसमां झुकाने की कुछ ऐसी बात करते हैं,
ज़मीन पर अपना वज़ूद बनाने, हम चलते हैं।
कायनात आज़माने, तूफ़ान से लड़ने चलते हैं,
उस बिखरे वक़्त को बटोरने आज चलते हैं,
नाम पन्नों में दर्ज़ हो, चलो कुछ ऐसा करते हैं,
उम्मीदों का एक पुल बनाने,
Read More! Earn More! Learn More!