
जिंदगी के मेले में हमने क्या नहीं पाया है
अपनो को छोड़ो दूसरों को भी पाया है
मां के हाथों से रोटी तो कभी थप्पड़ पाया है
दुल मिट्टी से मिलना पापाजी ने सिखाया है
लोगों लफ्जो स
Read More! Earn More! Learn More!
जिंदगी के मेले में हमने क्या नहीं पाया है
अपनो को छोड़ो दूसरों को भी पाया है
मां के हाथों से रोटी तो कभी थप्पड़ पाया है
दुल मिट्टी से मिलना पापाजी ने सिखाया है
लोगों लफ्जो स