
*चाहा था मैंने न चाहा उन्होंने
फ़िर भी दूर बहुत दूर खुद से
*होते रहे हम,*
*मिले कभी तो मुस्कुरा दिए,
भीतर ही भीतर
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*चाहा था मैंने न चाहा उन्होंने
फ़िर भी दूर बहुत दूर खुद से
*होते रहे हम,*
*मिले कभी तो मुस्कुरा दिए,
भीतर ही भीतर