![वह लिखती है's image](/images/post_og.png)
जब आँखें नहीं आत्मा रोती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह बारिश से नहीं आँसुओं से
दामन भिगोती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह किसी कारण बहुत खुश होती है
हंसती है मुस्कुराती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह समाज की विषमता से परेशान होती है
तब वह कविता लिखती है
जब वह दुःख के पहाड़ को ढोती है
तब वह दर्द को शब्दों का जामा पहनाकर
धीरे धीरे अर्थ की गहराई में जाकर ...
लक्षणा और व्यंजना शक्ति का सहारा लेती है
तब वह कवि
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