दोजग's image

रात शाम सी लगती है 

सहन आम सी लगती है 

मात भी नहीं खाती 

ज़िंदगी तमाम सी लगती है 


होकर रह जाता हु बेख़बर 

रेत के टीलों से मिलकर

मिट्टी का मोहन हु 

मिट्टी अजान सी लगती है


ग़ायब रहता

Tag: shayari और1 अन्य
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