![भीड़ में , झुंड में's image](/images/post_og.png)
भीड़ में, झुंड में
जो चलता नहीं ।
कामयाबी को और कोई
दिखता नहीं ।
उठाओ धनुष
चढ़ाओ तीर ।
जीतके सबको
हो जाओ रणवीर।
कमर जिसकी
कसी हुई होती है।
समझो उसीकी
जीत हुआ करती है।
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भीड़ में, झुंड में
जो चलता नहीं ।
कामयाबी को और कोई
दिखता नहीं ।
उठाओ धनुष
चढ़ाओ तीर ।
जीतके सबको
हो जाओ रणवीर।
कमर जिसकी
कसी हुई होती है।
समझो उसीकी
जीत हुआ करती है।