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देखो, मन का दर्पण देखो।।

क्या खामियां, क्या खूबियां

समेटे क्या क्या बैठे हो अंदर

हारे थे क्यों, जीते हो क्यों

और जरुरी क्या है 

हार जीत में से

या हार जीत से भी

कर खुद का खुद से विश्लेषण देखो।।

देखो, मन का दर्पण देखो।।


हालात क्या थे तुम्हारे

और

हालात क्या है तुम्हारे

थी खुशगवार जिंदगी कभी क्यूं

हो आज ग़म के शिकार तुम

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