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बदले अस्तित्व

अस्तित्व में आते ही बदले पल पल

सजीव निर्जीव सभी का अस्तित्व।।


बदलने के लिए बस अस्तित्व ही पर्याप्त

अस्तित्व ही पर्याय न बदलना संभव नहीं

बदलना संभावी है।।


निर्जीव जड़ शून्य है भाव के आभाव में है

इनका बदलना परतंत्र है प्रकृति अनुबंधित है

किंतु प्रकृति से आत्मसात है।।


सजीव धन्य है जो निर्बुधि है अल्पमति हैं

इनका बदलना स्वतंत्र है प्रकृति अनुगामी है

प्रकृति से अनुमोदित है।।


और इधर मानव जीव है जो ज्ञानी है अभिमानी है

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