
तकनीक आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए हमारे कदम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । आधुनिक युग में तकनीक हमारे जीवन का लगभग आधार बन चुकी है। तकनीक जीवन को सुलभ और आसान बनाने का एक तरीका है , जो कि सिर्फ़ बालक या नौजवान नहीं वरन् बुजुर्गों के भी जिंदगी का अहम हिस्सा है । चाहे किसी भी रूप में हम अब हम अपनी जीवन की दैनिक दिनचर्या में इस महत्वपूर्ण पड़ाव से गुजरकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। और आधुनिकतम बनते चले जा रहे हैं ।
प्रश्न यह उठता है कि क्या तकनीक के बिना जीवन संभव नहीं है ? इस प्रश्न कि सार्थकता की ओर जब हम जाते हैं क्या यह प्रश्न उचित या अनुचित है जब इसकी और अपनी दृष्टि हम रखते हैं तो हमें यह समझ में आता है कि हां यह प्रश्न अब वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि तकनीकी जिस तरह से हमारे जीवन को अपने में समेटे हुए आगे बढ़ रही है वह कहीं ना कहीं हमें लगता है कि हम दिन प्रतिदिन तकनीकी के गुलाम होते चले जा रहे हैं। क्या ऐसा सच में है ऐसा जानने के लिए जीवन में तकनीक की घुसपैठ की समझ के लिए हमें कुछ बातों का समझना जरूरी है । जैसे किसी भी विषय के दो पहलू हो सकते हैं सकारात्मक पहलू और नकारात्मक पहलू ।
जब हम तकनीकी के सकारात्मक पक्ष का अवलोकन करते हैं तो हमें पता चलता है कि तकनीकी मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है , मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताएं जो सुलभ और दुर्लभ या दोनों हो उसे तकनीकी अपने में समेटे हुए है। तकनीकी जीवन को इतना आसान बना चुकी है की मनुष्य की पूरी निर्भरता का दोहन तकनीकी आसानी से कर सकता है , तकनीकी और जीवन दोनों के बीच द्वंद को हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें 21 साल की उम्र में amyotrophic lateral sclerosis (ALS) नामक गंभीर बीमारी हो गई थी , जिसके कारण स्टीफन हॉकिंस को बोलने में भी परेशानी होती थी और उनकी पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था , और डॉक्टर ने कहा था कि यह अधिकतम 2 साल तक और जीवित रह सकते हैं लेकिन स्टीफन हॉकिंस ने जज्बा दिखाया लड़ा उन्होंने अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाया लगभग 50 से अधिक वर्ष तक जीवित रहे , उन्होने अपने बारे में एक बार कहा था -
"लगभग सभी मांसपेशियों से मेरा नियंत्रण खो चुका है और अब मैं अपने गाल की मांसपेशी के जरिए, अपने चश्मे पर लगे सेंसर को कम्प्यूटर से जोड़कर ही बातचीत करता हूँ "- हॉकिंग
व्हील चेयर पर बैठे स्टीफेन हॉकिंग आम आदमी से बिलकुल अलग थे । शरीर का साथ न देना उनकी कमजोरी नहीं बनी । उनकी इस जीवन काल में तकनीकी का योगदान बहुत ही अहम रहा या यूं कहें कि उन्होंने तकनीक के माध्यम से जो कुछ विज्ञान जगत को दिया वह श्रेयस्कर है उन्होंने तकनीकी को अपनी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया उसे अपनाया और यह किसी भी आम आदमी के लिए जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हो उसके लिए जरूरी नहीं होता लेकिन अस्वस्थता के कारण उन्होंने तकनीकी को अपनाया था ,या कहें कि उसे अपने अनुसार बनाया था , जिसके फलस्वरूप उन्होंने दुनिया को महत्वपूर्ण परिभाषाएं जैसे :- ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी दिया ।
आज के इस युग में तकनीक का योगदान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है हम इसे आसानी से अपनाते हुए अपनी जिन्दगी व्यतीत कर रहे हैं । यह कहना गलत नहीं होगा की आधुनिक तकनीकी के विभिन्न आविष्कार जैसे कि मोबाइल , टीवी, कंप्यूटर, इंटरनेट , फ्रिज, वाशिंग मशीन, पानी निकालने वाली मोटर, मोटर साईकिल, जहाज, ट्रेन, बस, यातायात के साधन, सभी कुछ आधुनिक तकनीकी की सहायता से संभव हो सका है। जो कि हमारे जीवन को और सुलभ कर , आसान बनाया है । तकनीकी के इन प्रयोगों के कारण हम कोई कार्य जितनी कठिनता से करते थे उसे अब कम समय में आसानी से कर लेते हैं । जैसे कि यदि हम बात करें आजकल के डिजिटल युग की , जिसमें तकनीकी का प्रभाव अपने उच्चतम स्तर को छूता चला जा रहा है ।
तकनीकी के प्रभाव से पहले के समय की जब हम बात करते हैं तो एक आसान सा उदाहरण सामने आता है कि कुछ वर्षों पहले हमें अपना कोइ संदेश दुर बैठे किसी व्यक्ति को भेजना हो तो डाक , तारपत्रों इत्यादि के जरिए देते थे, लेकिन अब तकनीक का प्रयोग ने इसे आसान बना दिया है । सोशल मीडिया तकनीकी का ही एक उपज है , जिसके ज़रिए हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को अपना संदेश क्षण भर में दे सकते हैं । तथा मनोरंजन के लिए d2h घर-घर तक अपनी पहुंच बना चुका है, जो कि तकनीकी के विकास का ही एक उपक्रम है। अर्थात तकनीकी से हमारी संचार व्यवस्था मजबूत हुई है । इसके अलावा यातायात के साधन, सड़को पे सिग्नल की व्यवस्था करना आदि सभी कुछ आधुनिक तकनीकी की सहायता से संभव हो सका है। नई तरह की दवाइयां, चिकित्सा उपकरणों की सहायता से अब जटिल लोगो का इलाज भी संभव हो गया है।