तुम्हे सोचूँ's image
325K

तुम्हे सोचूँ

तुम्हें सोचूँ तो लगता हैं जैसे

गुलज़ार की कोई मख़मली नज़्म

उन्ही के मख़मली आवाज़ में

सुन रहीं हूँ..

तुम्हारी आँखें,

मानो मुक़द्दस आयतें हो कोई

चाँद की मिश्री

Read More! Earn More! Learn More!