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तुम्हारी नज़्मों के टुकड़े

तुम्हारी नज़्मों के टुकड़े
अपने हाथ से छू ने की कोशिश में
अपनी पोरों को जला लिया मैंने
अमृता ने सच ही लिखा है
कि तुम एक टूटा हुआ तारा थी
सारा शगुफ्ता..
दिमागी अमराज़ के अस्पताल में
तुम्हारी चार बार खुद-खुशी की
नाकाम कोशिश
और फिर रेल के नीचे आकर
तुम्हारी खुद-ख़ु
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