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शाम, सिगरेट, मरघट

मेरे शाने पे सर रख के
रो रही हैं ये उदास शाम
मेरी नज़्मों की शिकस्ता तहरीरें
मलाल आँखों से
देख रही हैं मेरी जानिब..
तफ़क्कुर ज़हन में कोई
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