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जब हद से बढ़ने लगे हिज्र का ग़म..

जब हद से बढ़ने लगें 

हिज्र का ग़म

तुम पढ़ लेना मेरी नज्में

तुम्हें हासिल हो जाएगी सुकूनत

मेरी नज्मों के हर हर्फ़ में...

मैंने छुआ हैं हर लफ़्ज 

अपनी सुर्

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