कविता: स्मृति
कवि: जोत्सना जरीक
.
यह शोर का दिन है
चुप कैसे हो
आम बरगद अंजीर के पेड़ की पंक्ति ने बताई कहानी
.
तालाब के किनारे बोकुल के फूल
पानी में कैसे कूदें
बत्तखों के साथ खेलना
तीन सिर वाली दादी
वो भी दिखाता है...
.
मैं लंबे समय से उनके पास नहीं आया हूं
हमारे बीच बहुत बातें होती हैं
मेरे पास है और वे भी
हमारे धान के खेतों में अलपथ
उस सड़क पर प
Read More! Earn More! Learn More!