कविता - सीने के अंदर
कवि - जोत्सना जरीक
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मेरा प्यार जब ऐ
खोड़ा (अल्लाह) की प्रेम बरसाई
मे किया करु
दिल घबराये
प्रेम बरसाय
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सीने में आंसुओं का फव्वारा
फाल्गु नदी की तरह
ऊपर सिर्फ रेत और रेत है
पानी पड़ा है...
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प्यारी सी चाँद की रात
जब पंछी सो ग
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