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कविता: बेघर खुशी
 कवि: जोत्सना जरीक

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 मुझे इंतिजार थी
 तुम आओ गी 
 मेरा पाशो
 बगिया  की फुल खेलते हैं
 तू मेरा साथ चाहे
 आस
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