
हमारे शहर का मंज़र बदलने वाला है
सियाह रात में सूरज निकलने वाला है
नया लिबास जो हर दिन बदलने वाला है
अमीर-ए-शहर के टुकड़ों पे पलने वाला है
ये और बात मिटा दें हरीफ़ तहरीरें
मिरा क़लम तो हक़ीक़त उगलने वाला है
हवा से कह दो के अब एहतिमाम से आए
फिर इक च
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