
है साहस तो लड़ो फ़िर
गिरे बगेर चलो फ़िर
गर अब हिम्मत नहीं दिखाओगे
तो बाद में पछ्ताओगे
कोशिश बिना तुम अब डूबते ही चले जाओगे
तूफ़ान तुम्हें हिलाएंगे
बिजली तुम्हें डराएगी
नदी तुम्हें बहायगी
पीते वो चली जायेगी
वो सिंह की दहाड़ है
सामने खड़ा पहाड़ है
वो लक्ष्य तुम्हें है भेदना
चोटी पे तुमको पहुँचना
ये ना युद्ध की ललकार है
न सिंह का प्रहार है
सामने
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