
ज़ीनत से तुम अच्छी लगोगी,
रास्ता कितना बे ज़ार है।
मैं इस्बात ढूंढने कहाँ जाऊ,
मुझे कौन सा पैमान देना है।
ताबिश अलमारी मैं घ
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ज़ीनत से तुम अच्छी लगोगी,
रास्ता कितना बे ज़ार है।
मैं इस्बात ढूंढने कहाँ जाऊ,
मुझे कौन सा पैमान देना है।
ताबिश अलमारी मैं घ