![क्या सचमुच मेरे सामने ही खड़ी हो तुम!'s image](/images/post_og.png)
मेरे स्वप्नों से निकली इक परी हो तुम,
क्या सचमुच मेरे सामने ही खड़ी हो तुम!
जो कहना मुझे है मैं कैसे बताऊँ?
तुम्ही कह दो कि मैं क्या गुनगुनाऊँ?
चाँदनी-सी,दमकती रोशनी से भरी हो तुम,
क्या सचमुच मेरे सामने ही खड़ी हो तुम!
तुम मुस्कुराती तो मौसम मुस्कुराए,
तुझे देखकर कुसुम
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