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राम सुंदरता तुम्हारी क्या कहूं। खो के सुध बुध बस तुम्ही में ही रहूं।। जो भी देखा आज तक सब व्यर्थ है। इक तुम्हारा रूप ही बस सत्य है।।
राम सुंदरता तुम्हारी क्या कहूं।
खो के सुध बुध बस तुम्ही में ही रहूं।।
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राम सुंदरता तुम्हारी क्या कहूं।
खो के सुध बुध बस तुम्ही में ही रहूं।।