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माँ ही जन्मदात्री,जीवन की पहली झंकार है

माँ ही जन्मदात्री,जीवन की पहली झंकार है.. माँ ही जीवन है, माँ में सिमटा सारा संसार है.. पहले प्रेम की पहली मूरत,नि:स्वार्थ प्रेम की संदर्भ है... पालन करता खुद में ही, मां का अखंड गर्भ है... सब भावों से समझौता कर,कभी कुछ न कहती है.. बच्चे के नवजीवन पर, सबसे भारी पीड़ा सहती है.. अन्न प्राशन्न के पहले ही, मां का दूध पहला संस्कार है.. मां ही जीवन है, मां में सिमटा सारा संसार है.. मां में ही भागवत है, मां ही कुरान है.. मां ही ममता की मूरत है, वात्सल्य का पुराण है... हर सुबह की पहली आवाज, मां ही मीठा कलरव है... नन्हे बच्चे के नाजुक होंठों पर, मां ही पहला स्वर है... मां ही पहला स्पर्श है, मां काले टीके का श्रंगार है.. मां ही पह
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