
एक कलाकार भी क्या चीज़ है!
जीते-जी जाने कितनों से रिश्ता जोड़ लेता है। हम न जिससे कभी मिले हों, न जिसे कभी सामने से देखा ही हो, वो भी पूरी हनक के साथ हमारे दिलों पर कब्ज़ा कर लेता है और हम उसे ऐसा करने भी देते हैं। कला के प्रति दीवानगी कब कलाकार के प्रति दीवानगी में बदल जाती है, पता ही नहीं चलता। कब उसके दिल में होने से दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कता है और कब उसके न होने पर विह्वल हो ज़ार-ज़ार रोता है, हम कुछ समझ नहीं पाते।
इसीलिए कलाओं का महत्व है। ये गंधर्व विद्याएँ कही जाती हैं। इनका असर किसी जादू की तरह होता है जो इंसान को अपने मोहपाश में बाँध लेता है। जो भी व्यक्ति किसी कला को बतौर साधक साधता है, फिर वह व्यक्ति कलाकार न रहकर जादूगर हो जाता है। वह अपनी कला के जादू से न सिर्फ़ सबको सम्मोहित करता है बल्कि अपने चाहने वालों को अपनी इस जादुई कला का एक हिस्सा बना लेता है। लोग उस जादू के असर में ख़ुश होते हैं, ताली बजाते हैं और फिर धीरे-धीरे उस कला के