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लोकतंत्र शायरी

जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में 

बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते 


[अल्लामा इक़बाल]

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यही जम्हूरियत का नक़्स है जो तख्त-ए-शाही पर 

कभी मक्कार बैठे हैं कभी ग़द्दार बैठे हैं 


[डॉक्टर आज़म]

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कभी जम्हूरियत यहाँ आए 

यही 'जालिब' हमारी हसरत है 


[हबीब जालिब]

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जम्हूरियत के बीच फँसी अक़्लियत था दिल 

मौक़ा जिसे जिधर से मिला वार कर दिया 


[नोमान शौक़]

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Tag: shayari और1 अन्य
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