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Women's Day Shayari | Kavishala

तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन 

तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था 

 - असरार-उल-हक़ मजाज़



एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला 

जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं 

 - बशीर बद्र



औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया 

जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया 

 - साहिर लुधियानवी



बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है 

मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है 

 - असरार-उल-हक़ मजाज़



बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं 

और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं 

 - इफ़्तिख़ार आरिफ़



कौन बदन से आगे देखे औरत को 

सब की आँखें गिरवी हैं इस नगरी में 

- हमीदा शाहीन



शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास 

रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं 

 - मुनीर नियाज़ी



तलाक़ दे तो रहे हो इता

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