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वो चल रहा है - इमरान प्रतापगढ़ी

[वो चल रहा है]


उदास मौसम बदल रहा है

धुएँ का पर्वत पिघल रहा है

दिलों में लावा उबल रहा है

सुबह सुबह जब हुजूम लेकर,

सफ़र पे निकले तो यूँ लगे है

कि जैसे सूरज निकल रहा है।


वो चल रहा है....


वो कह रहा है कि नफ़रतों से जो दिल हैं टूटे,

सभी दिलों को मैं जोड़ दूँगा,

वो कह रहा है हर एक दरिया हर एक तूफ़ॉं

को मोड़ दूँगा।

सुनो सितमगर न समझो डरकर

मैं अपने लोगों को छोड़ दूँगा।

सितम की गर्दन मरोड़ दूँगा


सितमगरों की हर एक ख़्वाहिश

हर एक साज़िश कुचल रहा है।


वो चल रहा है ......


ज़माने भर की तमाम माँओं,

तमाम बहनों ने हाथ उठाकर दुआएं दी हैं,

तमाम बच्चों ने इस तपस्वी का माथा चूमा, बलाएँ ली हैं।

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