
वापस आना पड़ता है, फिर वापस आना पड़ता है,
जब वक्त की चोटें हर सपने हर लेती हैं,
जब राह की कीलें पग छलनी कर देती है,
ऐसे में भी गगनभेद हुंकार लगाना पड़ता है,
भाग्य को भी अपनी मुट्ठी अधिकार से लाना पड़ता है,
वापस आना पड़ता है, वापस आना पड़ता है.
कहां बंधी जंजीरों में हम जैसे लोगों की हस्ती, ध्वंस हुआ,
विध्वंस हुआ, भव
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