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सुन्दरता कहुँ सुंदर करई, छबि गृह दीप सिखा जनु बरई - तुलसीदास | #JanakiJayanti
कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि।
कहत लषन सन राम हृदय गुनि॥
मानहुँ मदन दुंदुभी दीन्ही।
मनसा बिस्ब बिजय कहँ कीन्ही॥
अस कहि फिरि चितए तेहि ओरा।
सिय मुख ससि भए नयन चकोरा॥
भए बिलोचन चारु अचंचल।
मनहुँ सकुचि निमि तजे दृगंचल॥
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