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मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | Shark Tank India season 2
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है
[शकील आज़मी]
कविता, कहानी या साहित्य किसी भी व्यक्तित्व या वृत्तांत को लोगों के सामने साधारण और सरल भाषा में पहुंचाने का सबसे अच्छा माध्यम होता है! हमारे पूर्वज कवियों और लेखकों ने हर एक परिस्थिति और व्यक्तित्व के लिए कुछ न कुछ पहले से ही लिख दिया है! कविशाला आज एक प्रयास कर रहा है हमारे और आपके पसंदीदा उद्यमियों और शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) Judges को कुछ साहित्यिक पंक्तियों के साथ उनके संघर्ष और व्यक्तित्व को दर्शाने का!
यह सभी ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके संघर्ष और काम ने अलग मुक़ाम हाशिल किये हैं!
जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फ़िर धार क्या मझधार क्या?
वह प्रदीप जो दिख रहा है
झिलमिल दूर नही है
थक कर बैठ गए क्यों भाई
मंजिल दूर नही है.
[हरिवंशराय बच्चन]