
तेरा रहा नहीं है कब रंग ढंग न्यारा।
कब था नहीं चमकता भारत तेरा सितारा॥
किसने भला नहीं कब जी में जगह तुझे दी।
किसकी भला रहा है तू आँख का न तारा॥
वह ज्ञान जोत सबसे, पहले जगी तुझी में।
जग जगमगा रहा है, जिसका मिले सहारा॥
किस जाति को नहीं है तूने गले लगाया।
किस देश में बही है तेरी न प्यार धारा॥
तू ही बहुत पते की यह बात है बताता।
सब में रमा हुआ है वह एक राम प्यारा॥
कुछ भेद हो भले ही, उनकी रहन सहन में।
पर एक अस्ल में हैं हिंदू तुरुक नसारा॥
उनमें कमाल अपना है जोत ही दिखाती।
रँग एक हो न रखता चाहे हरेक तारा॥
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