उम्मीद का दामन न छोड़ना कभी, रात गुजर जायेगी फिर सहर होगी | Shayari for Startups's image
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उम्मीद का दामन न छोड़ना कभी, रात गुजर जायेगी फिर सहर होगी | Shayari for Startups

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है

जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है

[शकील आज़मी]

कविता, कहानी या साहित्य किसी भी व्यक्तित्व या वृत्तांत को लोगों के सामने साधारण और सरल भाषा में पहुंचाने का सबसे अच्छा माध्यम होता है! हमारे पूर्वज कवियों और लेखकों ने हर एक परिस्थिति और व्यक्तित्व के लिए कुछ न कुछ पहले से ही लिख दिया है! कविशाला आज एक प्रयास कर रहा है हमारे और आपके पसंदीदा उद्यमियों को कुछ साहित्यिक पंक्तियों के साथ उनके संघर्ष और व्यक्तित्व को दर्शाने का! यह सभी ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके संघर्ष और काम ने अलग मुक़ाम हाशिल किये हैं!

जब नाव जल में छोड़ दी

तूफ़ान ही में मोड़ दी

दे दी चुनौती सिंधु को

फ़िर धार क्या मझधार क्या?


वह प्रदीप जो दिख रहा है

झिलमिल दूर नही है

थक कर बैठ गए क्यों भाई

मंजिल दूर नही है.

[हरिवंशराय बच्चन]


संजीव भिखचंदानी


विजय शेखर शर्मा


पीयूष बंसल


अनुपम मित्तल

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