मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं - जावेद अख़्तर | Kavishala's image
380K

मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं - जावेद अख़्तर | Kavishala

मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं

जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं

एक ये दिन जब अपनों ने भी हम से नाता तोड़ लिया

एक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं

एक ये दिन जब सारी सड़कें रूठी रूठी लगती हैं

एक वो दिन जब आओ खेलें सारी गलियाँ कहती थीं

एक ये दिन जब जागी रातें दीवारों को तकती हैं

एक वो

Tag: JavedAkhtar और3 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!