Mother's Day Shayari | Kavishala's image
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Mother's Day Shayari | Kavishala

तिफ़्ल में बू आए क्या माँ बाप के अतवार की

दूध तो डिब्बे का है तालीम है सरकार की


अकबर इलाहाबादी



माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है

आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है


अंजुम सलीमी



बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर

माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है


मुनव्वर राना



तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फ़लक

मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी


मुनव्वर राना



तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फ़लक

मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी


मुनव्वर राना



चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है

मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है


मुनव्वर राना



अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा

मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है


मुनव्वर राना



इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है

माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है


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