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मज़दूर दिवस | शायरी

लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की 

यकुम मई को भी मज़दूरों ने मज़दूरी की 

- अफ़ज़ल ख़ान

 

ये बात ज़माना याद रखे मज़दूर हैं हम मजबूर नहीं I

ये भूख ग़रीबी बदहाली हरगिज़ हमको मँज़ूर नहीं ।।

- कांतिमोहन 'सोज़'

 

कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना

यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं

- अहमद सलमान

 

सो जाता है फुटपाथ पे अख़बार बिछाकर,

मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाता

-मुनव्वर राना

 

मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं,

लेकिन मजदूरों के चेहरे पीले हैं

- तनवीर सिप्रा

 

आने वाले जाने वाले के लिए,

आदमी मजदूर हैं राहें बनाने के ल

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