![[किसलिये राह में करते श्याम ठठोली - राधेश्याम कथावाचक]'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kavishala/None/7_17-03-2022_12-59-44-PM.jpg)
किसलिये राह में करते श्याम ठठोली।
बस माफ़ करो रहने दो, होली, होली!
तुम निपट निठुर, नंदलाल चाल करते हो।
पिचकारि मार, फ़िलहाल लाल करते हो॥
दिखला जमाल बेहाल हाल करते हो।
चट चूम गाल, तत्काल जाल करते हो॥
चूड़ियाँ चटका कर बोरी चुनरी, चोली।
बस माफ़ करो रहने दो, होली, होली॥
कुमकुमे मार क्यूँ बेकरार करते हो?
अंबर सुढार के तार-तार करते हो॥
गल बाँह डार हर बार रार करते हो।
अंचल उघार क्यूँ यार ख़्वार करते हो॥
हँस-हँस निज बस कर बोलत रसभरी बोली।
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