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जो जुर्म करते हैं, इतने बुरे नही होते, सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती है | सियासत पर कुछ शेर
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले
ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुए
अवाम थकने लगे तालियाँ बजाते हुए
ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा
मगर वही तो बहुत कामयाब चेहरा था
इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले
ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले
मुझ से क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिए
कभी सोने कभी चाँदी के क़लम आते हैं
इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
क़ुर्बतों में भी फ़ासला निकला
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