
मेरे पास एक रंगीन पतंग थी
जो हवा का रुख़ बदल
उड़ सकती थी
तुमने उसकी डोर थमा दी
झाड़ियों में बेर खाते बच्चों के हाथ
तुम बच्चे नहीं थे!
मेरे पास एक खिड़की थी
वह जिसमें खुलनी थी
तुमने उसी आसमान में सुराख़ कर
उसे सिर पर उठा लिया
मेरे पास एक नदी थी
जिसमें तुम रात भर
नाव खेवते रहे जी भर
जब सुबह होने को थी
तुमने नाव में पत्थर भर दिए
अब तुम
'नदी गहरी है' कहते हो
दूसरों को डराते हो
मेरे पास अनेक रंग थे
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