
भइया की चिठ्ठी आई है
घर भर की बातें लाई है
पहले लिखा तुम्हे प्यार है
और आगे भाभी बीमार है
छुटकी को अक्सर बुखार है
लिखी अम्मा की पुकार है
आंखे जैसी की तैसी है,
गठिया की हालत वैसी है
अब तो बेटे है ये लगता,
मौत ही जैसे अंतिम हल है
शेष कुशल है
घर में पैसे चार नहीं है
मिलता कही उधार नहीं है
भाई जबसे दिन बिगड़े हैं,
कोई नातेदार नही है।
छोटे का तुम हाल न पूछो
मोटी कितनी खाल न पूछो
अरजी आज नई दे आया,
और अगला इंटरव्यू कल है
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