![हे भारत के राम जगो मैं तुम्हें जगाने आया हूँ : आशुतोष राणा's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40kavishala/None/YouTube_Cover_17_06-10-2022_12-37-33-PM.png)
हे भारत के राम जगो मैं तुम्हें जगाने आया हूँ,
और सौ धर्मो का धर्म एक बलिदान बताने आया हूँ !
सुनो हिमालय कैद हुआ है दुश्मन की जंजीरों में,
आज बतादो कितना पानी है भारत के वीरों में |
खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर आज तुम्हें ललकार रही
सोए सिंह जगो भारत के, माता तुम्हें पुकार रही |
रण की भेरी बज रही, उठो मोह निंद्रा त्यागो!
पहला शीष चढाने वाले माँ के वीर पुत्र जागो!
बलिदानों के वज्रदंड पर देशभक्त की ध्वजा जगे
रण के कंकर पैने हैं, वे राष्ट्रहित की ध्वजा जगे
अग्निपथ के पंथी जागो शीष हथेली पर रखकर,
और जागो रक्त के भक्त लाडलों, जागो सिर के सौदागर |
खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा!
रक्त बीज का रक्त चाटने वाली जागे चामुंडा
नर मुण्डो की माला वाला जगे कपाली कैलाशी
रण की चंडी घर घर नाचे मौत कहे प्यासी प्यासी…
‘रावण का वध स्वयं करूंगा!’ कहने वाला राम जगे
और कौरव शेष न बचेगा कहने वाला श्याम जगे!
परशुराम का परशा जागे, रघुनन्दन का बाण जगे,
यजुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष महान जगे|
चोटी वाला चाणक जागे, पौरुष परुष महान जगे,
सेल्युकस को कसने वाला चन्द्रगुप्त बलवान जगे|
हठी हमीर जगे जिसने, झुकना कभी न जाना,
जगे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना|
देशभक्त का जीवित झंडा, आज़ादी का दीवाना
रण प्रताप का सिंह जगे और हल्दी घटी का राणा|
दक्षिण वाला जगे शिवाजी, खून शाह जी का ताजा,
मरने की हठ ठाना करते विकट मराठों