वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे, मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा | Vijay Diwas's image
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वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे, मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा | Vijay Diwas

On Vijay Diwas, a tribute to our martyrs and heartiest congratulations to heroes who snatched victory. 

The army is the pride of our nation. Kargil has taught us a lot of lo lessons. Awareness, Vigilance, and continuous Preparedness is the key to security. Here is some shear on Patriotism:



कहाँ हैं आज वो शम-ए-वतन के परवाने 

बने हैं आज हक़ीक़त उन्हीं के अफ़्साने 

[सिराज लखनवी]


न होगा राएगाँ ख़ून-ए-शहीदान-ए-वतन हरगिज़ 

यही सुर्ख़ी बनेगी एक दिन उनवान-आज़ादी 

[नाज़िश प्रतापगढ]


ये कह रही है इशारों में गर्दिश-ए-गर्दूं 

कि जल्द हम कोई सख़्त इंक़लाब देखेंगे 

[अहमक़ फफूँदव]


वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है 

मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में 

[चकबस्त ब्रिज नारायण]


इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान 

अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान 

[जावेद अख़्त]


लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है 

उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी 

[फ़िराक़ गोरखपुरी]


सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है 

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