जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा, किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता - वसीम बरेलवी | International Youth Day's image
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जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा, किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता - वसीम बरेलवी | International Youth Day

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 

उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा 

- साहिर लुधियानवी


हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं 

हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं 

- जिगर मुरादाबादी


मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर 

लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया 

- मजरूह सुल्तानपुरी


जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा 

किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता 

- वसीम बरेलवी


सितारों से आगे जहाँ और भी हैं 

अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं&nb

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