रश्मि रॉकेट : एक भारतीय महिला एथलीट की कहानी !'s image
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रश्मि रॉकेट : एक भारतीय महिला एथलीट की कहानी !

हार-जीत परिणाम है,

कोशिश हमारा काम है!

फिल्म निर्देशक : आकर्ष खुराना

फिल्म की कास्ट : तापसी पन्नू, प्रियांशु पैन्यूली, अभिषेक बैनर्जी, सुप्रिया पाठक, आकाश खुराना, मनोज जोशी, चिराग बोरा, वरुण बडोला, सुप्रिया पिलगांवकर, श्वेता त्रिपाठी।

फिल्म का समय : 02:09

फिल्म प्लेटफॉर्म : zee5


समीक्षा :-


हार-जीत मायने नहीं रखती आपके लिए महत्त्वपूर्ण है आप हिस्सा लें और अपनी कोशिश को न छोड़े।

आकर्ष खुराना के निर्देशन में बनी फिल्म रश्मि रॉकेट हाल ही में रिलीज हुई है ,जो 'लिंग परीक्षण' जैसे गंभीर मुद्दे को उठाती है। बात करें फिल्म कास्ट की तो लीड रोले में अभिनेत्री तापसी पन्नू हैं वही प्रियांशु पैन्यूली, अभिषेक बैनर्जी, सुप्रिया पाठक, आकाश खुराना, मनोज जोशी, चिराग बोरा, वरुण बडोला, सुप्रिया पिलगांवकर, श्वेता त्रिपाठी कास्ट का हिस्सा हैं। यह एक पारिवारिक और मनोरंजक फिल्म है जिसका उद्देश्य स्पोर्ट्स में जेंडर टेस्ट के खिलाफ एक आवाज उठाना है। हम देखते हैं कि महिलों की भागीदारी खेल में औसतन कम रहती जिसका कारण है मानसिकता जिसके चलते लड़कियों को खेल में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन नहीं मिलता यह फिल्म सीधे तौर पर उस मानसिकता पर प्रहार करती है जिसमे दिखाया गया है किस तरह केवल नियमों के नाम पर खिलाड़ियों को अयोग्य करार कर दिया जाता है। महिला खिलाड़ियों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन समस्याओं को इस फिल्म के माध्यम से दर्शकों तक पहुँचाया गया है। ये फिल्म वास्तव में एक सन्देश है उन लड़कियों के लिए भी जो स्पोर्ट्स में दिलचस्पी रखती हैं। महिला खिलाड़ियों को हौसला और प्रोत्साहित करने का कार्य करती यह फिल्म सिखाती है की वास्तव में हार-जीत मायने नहीं रखती आपके लिए महत्त्वपूर्ण है आप हिस्सा लें और अपनी कोशिश को न छोफिल्म में कुछ दृश्य ऐसे भी हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं हैं। उदाहरण के लिए भुज में सालो पहले आया भूकंप जिसका रूपांतरण इस फिल्म में दिखाकर पिता की मृत्यु का कारण बनाया गया है, पर उसी मैदान में दौड़ती हुई रश्मि को कुछ नहीं हुआ, जो वास्तविक नहीं लगा।


"मेरी रॉकेट! जा पतंग लेकर आ!"


फिल्म में प्रस्तुत कहानी भुज की लड़की रश्मि की कहानी है जो बहुत तेज भागती है। रॉकेट की रफ़्तार से भागने के कारण उसे रॉकेट कहते हैं।


फिल्म का सारांश :-

5 अक्टूबर 2014 की रात को, एक गर्ल हॉस्टल में दो पुलिस वाले घुस कर बोलते हैं "कंप्लेन हुई ही है कि यहां पर एक लड़का घुस आया है ", और सीधा एक कमरे पर जा दरवाजा खटखटाते है। वहां रश्मि वीरा (हीरोइन) होती है ,जो पूछती है "आप कौन हो? ", पर पुलिस वाले उसे 'थप्पड़ मारते हैं',और बिना महिला पुलिस के अपने साथ ले जाते हैं। 

वहीँ से कहानी को १४ साल पहले मोड़ दिया गया है ,जिसमे रश्मि के बचपन का दृश्य दिखाया गया है जिसमे माता-पिता पतंगबाजी कर रहे हैं और मां छोटी रश्मि को फ्रॉक पहनने को कहती है। पर उसे जींस पहनना है, तो पिता बोलते हैं "तुम्हें जो पहना है वो पहनो "।जिस पर पुराने सोच में जीने वाली रश्मि की माँ बोलती है कि "लड़की है कुछ तो नियम रखो "। परन्तु नए सोच में जीने वाले और अपनी बेटी को आसमान की ऊंचाईयों के ख्वाब दिखाने वाले रश्मि के पिता उसे बोलतें हैं "अपने मन की सुनो "। माँ पापा के बिच फसी छोटी रश्मि फ्रॉक के नीचे जींस पहन कर मां-बाप दोनों को खुश कर देती ह

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