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साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में किन - किन को मिला पद्म सम्मान


सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? – किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना खिलाना, जरूरतमंदों की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख दूर करना, किसी घायल की सेवा करना आदि।

-ए.पी.जे अब्दुल कलाम


किसी भी क्षेत्र साहित्य और शिक्षा, कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और मामलों आदि में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले नागरिकों को उनके कार्य के लिए पद्म पुरस्कार दिया जाता है जो भारत में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक हैं। देश के प्रथम नागरिक अतः राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान दिया जाता है। इन सम्मानों की तीन श्रेणियां होती हैं पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। वर्तमान वर्ष २०२१ पद्म पुरस्कार ११९ प्राप्तकर्ताओं को प्रदान किए गए हैं। इस सूची में ७ पद्म विभूषण, १० पद्म भूषण और १०२ पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। इनमें पुरस्कार प्राप्त करने वाली २९ महिलाओं के नाम सूचीबद्ध हैं , १६ मरणोपरांत पुरस्कार विजेता और १ ट्रांसजेंडर पुरस्कार विजेता सम्मलित हैं। आज के हमारे इस लेख के माध्यम से हम साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेताओं पर एक नजर डालेंगे। 


शिक्षा क्या है ? क्या वह पुस्तक-विद्या है ? नहीं। क्या वह नाना प्रकार का ज्ञान है ? नहीं, यह भी नहीं। जिस संयम के द्वारा इच्छाशक्ति का प्रवाह और विकास वश में लाया जाता है और वह फलदायक होता है, वह शिक्षा कहलाती है।

-स्वामी विवेकानंद


सुजीत चट्टोपाध्याय : शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जो अतिचारों गरीबी और भुखमरी जैसी समस्याओं को दूर करने में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकता है पर आज के समय में शिक्षा का मूल्याङ्कन भी पैसो से किया जाता हैं जहाँ गाओं में उचित वयवस्था नहीं हो पाती न शिक्षक की संख्या कभी पूर्ण हो पाती में ऐसे में वास्तविक जीवन के नायक, बंगाल के रहने वाले सुजीत चट्टोपाध्याय ने 350 से अधिक आदिवासी और वंचित बच्चों को पढ़ाने का उठाया जिसके लिए एक वर्ष में मात्र २ रूपए में लेते हैं उनके इस योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री किया गया है। उनकी निशुल्क शिक्षा संस्था का नाम "सदै फकीर पाठशाला" है जो बंगाल में स्तिथ है।


डॉ. भगवान गोयल : हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दिखाने वाले कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से रिटायर्ड डॉ. भगवान गोयल को शिक्षा एवं कला क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए पद्मश्री से मनोनित किया गया है। उन्होंने गुरुमुखी लिपि में उपलब्ध मध्यकालीन हिंदी साहित्य के विशाल खजाने को प्रकाश में लाकर पथ-प्रदर्शक शोध करने के साथ-साथ हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।


डॉ रजत कुमार कर : डॉ रजत कुमार कर एक प्रख्यात लेखक, नाटक-लेखक, टीकाकार और प्रशासक हैं जिन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया है । वह भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उत्सव के लिए भी एक अनुभवी टिप्पणीकार हैं जिन्हे लगभग 7 नॉन-फिक्शन किताबें लिखी हैं।


उषा यादव: उषा यादव एक प्रसिद्ध लेखिका हैं जिन्होंने पिछले पांच दशकों में विभिन्न विधाओं में हिंदी भाषा में लगभग १०० पुस्तकें लिखी हैं। उनकी चुनी हुई रचनाएं कई राज्यों के सरकारी स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों में शामिल हैं।


तू सो जा, हां सो जा, मेरी लाडली,

मेरे घर की बगिया की नन्ही कली!

सपनों की दुनिया पुकारे तुझे,

वो दुनिया बड़ी ही सुहानी-भली।

परियों के बच्चों के संग खेलना,

तू भी उनके जैसी है नाजों-पली।

नयन मूंद झट से, न अब बात कर,

सोया शहर, सोई है हर गली!

-उषा यादव


दादूदन गढ़वी (मरणोपरांत) : दादूदन गढ़वी एक प्रसिद्ध गुजराती कवि और लोक गायक थे। उन्होंने गुजराती कविताये और गुजराती साहित्य में अपना योगदान दिया और लोकगीत को आगे बढ़ाने में कार्य किया जीके लिए इस वर्ष उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया है


प्रो. सुंदरम सोलोमन पप्पिया: सुंदरम सोलोमन पप्पिया एक तमिल विद्वान, टेलीविजन व्यक्तित्व और अभिनेता हैं। एक अद्वितीय वक्ता, उन्होंने पिछले 25 वर्षों से 'पट्टीमंदरम' टीवी शो के माध्यम से प्रसिद्धि प्राप्त की है। वहीं इस वर्ष उन्हें अपने किया कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। 


मृदुला सिन्हा (मरणोपरांत) : साहित्यिक, सांस्कृतिक क

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