
सुदामा प्रसाद धूमिल की कविताएं बेरोजगारी, गरीबी व सरकारी तंत्र की उदासीनता पर करारा तंज कसती हैं.
[Kavishala Labs]
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ--
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।
यह कविता सुदामा प्रसाद धूमिल की है . सुदामा प्रसाद "धूमिल" जिन्हे हिंदी कविता का एंग्री यंग मैन कहा जाता है. उन्होंने सामाजिक समस्याओं और सरकारी तंत्र की खामियों पर चोट करती हुई कविताएं लिखी. धूमिल की कविताएं बेरोजगारी, गरीबी, भृष्टाचार व सरकारी तंत्र की उदासीनता पर करारा तंज कसती हैं.
सुदामा पाण्डेय धूमिल (09 नवम्बर 1936 - 10 फरवरी 1975 ) हिंदी के लोकप्रिय कवी थे. उन्हें समकालीन कविता के दौर के स्तम्भ कवियों में से एक माना जाता है. धूमिल का जन्म वाराणसी के पास खेवली गांव में हुआ था. उनका मूल नाम सुदामा पांडेय था. धूमिल नाम से वे जीवन भर कवितायें लिखते रहे. 38 वर्ष की अल्पायु में ही ब्रेन ट्यूमर से उनकी मृत्यु हो गई.
उनकी कविताओं में आजादी के सपनों के मोहभंग की पीड़ा और आक्रोश की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है. व्यवस्था जिसने जनता को छला है, उसको आइना दिखाना मानों धूमिल की कविताओं का परम लक्ष्य है. धूमिल के अनुसार गरीब तबका ही सबसे ज्यादा छला जाता है. धूमिल लिखते है-
ग़रीबी
एक ख़ुली हुई क़िताब
जो हर समझदार
और मूर्ख के हाथ में दे दी गई है।
कुछ उसे पढ़ते हैं
कुछ उसके चित्र देख
उलट-पुलट रख देते
नीचे ’शो-केस’ के।
धूमिल की कविताएं आम आदमी की आवाज बनी. उनकी कविता में परंपरा, सभ्यता, सुरुचि, शालीनता और भद्रता का विरोध है, क्योंकि इन सबकी आड़ में जो हृदय पलता है, उसे धूमिल पहचानते हैं. कवि धूमिल यह भी जानते हैं कि व्यवस्था अपनी रक्षा के लिये इन सबका उपयोग करती है, इसलिये वे इन सबका विरोध करते हैं. इस विरोध के कारण उनकी कविता में एक प्रकार की आक्रामकता मिलती है. किंतु उससे उनकी कविता की प्रभावशीलता बढती है. धूमिल अकविता आन्दोलन के प्रमुख कवियों में से एक हैं. धूमिल अपनी कविता के माध्यम से एक ऐसी काव्य भाषा विकसित करते हैं जो नई कविता के दौर की काव्य- भाषा की रुमानियत, अतिशय कल्पनाशीलता और जटिल बिंबधर्मिता से मुक्त है. उनकी भाषा काव्य-सत्य को जीवन सत्य के अधिकाधिक निकट लाती है. प्रस्तुत है धूमिल की कुछ कविताएं -
[१]
शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो