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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जन्मदिन विशेष!!

  हर जानकारी में बहुत गहरे 

ऊब का एक पतला धागा छिपा होता है ,

कुछ भी ठीक से जान लेना 

खुद से दुश्मनी ठान लेना है 


-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना


एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ,हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख कविओं में विद्यमान हैं। उन्होंने कई विधा में रचनाओं की प्रस्तुति की हैं। मुख्य बात ये है की उनकी लेखनी हर विधा में चली हैं। आज ही के दिन 15 सितम्बर 1927 को उत्तर प्रदेश के बस्ती में इनका जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा वाराणसी तथा प्रयाग विश्वविद्यालय से पूर्ण की और अध्यापन तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य किया। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का मानना था  कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता,उनकी ऐसी अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है। उन्होंने अपने जीवन में कई प्रमुख पदों को संभाला है ,1949  में प्रयाग में उन्हें ए.जी आफिस में प्रमुख डिस्पैचर के पद पर कार्य मिल गया। यहाँ वे 1955 तक रहे। जिसके बाद 1960 तक वे आल इंडिया रेडियो के सहायक संपादक के पद पर नियुक्त रहे । 1960  के बाद वे दिल्ली से लखनऊ रेडियो स्टेशन आ गए जहाँ 4 वर्ष कार्यत रहने के बाद वे भोपाल चले गए और कुछ समय वहां भी रेडियो स्टेशन में कार्य किया।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना उन कविओं में से थे जिन्होंने अपनी लेखनी का आधार समाज में पसरी बुराइओं ,कुप्रथाओं को बनाया। कड़े शब्दों में इसकी निंदा की और एक आंदोलनकारी के रूप में उभरे। बतादें सुप्रसिद्ध रचनाकार सर्वेश दयाल सक्सेना ने अपने साहित्य जीवन की शुरुआत कविताओं से ही की थी। 1983 में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना अपने कविता संग्रह ‘खूँटियों पर टंगे लोग’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चूका है। 


सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कुछ मुख्य कृतियाँ :


काव्य 

तीसरा सप्तक – सं. अज्ञेय, 1959

काठ की घंटियां – 1959

बांस का पुल – 1963

एक सूनी नाव – 1966

गर्म हवाएं – 1966

कुआनो नदी – 1973

जंगल का दर्द – 1976

खूंटियों पर टंगे लोग – 1982

क्या कह कर पुकारूं – प्रेम कविताएं


कहानी संग्रह :

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