
[Kavishala Labs] भारत प्राचीन काल से ही धर्म, अध्यात्म और साहित्य में समृद्ध और अग्रणी रहा है. प्राचीन भारत में कई विद्वान साहित्यकारों का जन्म हुआ है. इन विद्वान साहित्यकारों की रचनाओं को न केवल भारत बल्कि विश्वभर में सराहा व आत्मसात किया गया है. प्राचीन भारत में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया है. संस्कृत भाषा में कई महत्वपूर्ण रचनाये रची गयीं है.
संस्कृत भाषा के श्रेष्ठ रचनाकारों में बाण भट्ट का नाम प्रथम पंक्ति में आता है. बाण भट्ट (बाण भट्टराव) सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्य लेखक और कवि थे. वह राजा हर्षवर्धन के आस्थावान कवि के रूप में भी जाने जाते है. बाण संस्कृत के कुछ गिने-चुने लेखकों में से एक हैं जिनके जीवन एवं काल के विषय में निश्चित रूप से ज्ञात है. कादम्बरी की भूमिका में तथा हर्षचरितम् के प्रथम दो उच्छ्वासों में बाण भट्ट ने अपने वंश के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक वर्णन किया है.
सोन नदी (प्राचीन हिरण्यबाहु) के तट पर स्थित प्रीतिकूट नाम के ग्राम में भट्टराव कुल में उन्होंने जन्म लिया. बाण के पितामह का नाम अर्थपति था जिनके ग्यारह पुत्र हुए. उनके पिता का नाम चित्रभानु