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यशोमती मैया से बोले नंदलाला, राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला - पण्डित नरेन्द्र शर्मा

पण्डित नरेन्द्र शर्मा (२८ फरवरी १९१३–११ फरवरी १९८९) हिन्दी के लेखक, कवि तथा गीतकार थे। उन्होने हिन्दी फिल्मों (जैसे सत्यम शिवम सुन्दरम) के लिये गीत भी लिखे। पण्डित नरेन्द्र शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के खुर्जा जिले के जहांगीरपुर नामक गाँव में 28 फरवरी 1913 में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र और अंग्रेज़ीमें एम॰ए॰ किया। १९३४ में प्रयाग में 'अभ्युदय' पत्रिका का संपादन किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी स्वराज्य भवन में हिंदी अधिकारी रहे और gfhff बॉम्बे टाकीज़ बम्बई में गीत लिखे। उन्होंने फिल्मों में गीत लिखे, आकाशवाणी से भी संबंधित रहे और स्वतंत्र लेखन भी किया! प्रवासी के गीत, मिट्टी और फूल, अग्निशस्य, प्यासा निर्झर, मुठ्ठी बंद रहस्य (कविता-संग्रह) मनोकामिनी, द्रौपदी, उत्तरजय सुवर्णा (प्रबंध काव्य) आधुनिक कवि, लाल निशान (काव्य-संयचन) ज्वाला-परचूनी (कहानी-संग्रह, 1942 में 'कड़वी-मीठी बात' नाम से प्रकाशित) मोहनदास कर्मचंद गांधी : एक प्रेरक जीवनी, सांस्कृतिक संक्राति और संभावना (भाषण)। लगभग 55 फ़िल्मों में 650 गीत एवं 'महाभारत' का पटकथा-लेखन और गीत-रचना।


बतौर गीतकार फिल्मों के लिए उन्होंने जो पहला गीत लिखा- 


ऐ बादे शबा, इठलाती न आ 

मेरा गुमचा ए दिल तो सूख गया

मेरे प्यासे लबों को छूए बिना 

पैमाना खुशी टूट गया   


पंडित नरेंद्र शर्मा की भाषा संस्कृतनिष्ठ थी, वे हिंदी में लिखते थे, एक-दो गीतों में उर्दू के भी शब्द हैं। हमारी बात, रत्नघर, फिर भी, ज्वार भांटा, सजनी, मालती माधव, चार आँखें, मेरा सुहाग, बिछड़े बालम, चूड़ियां, जेल यात्रा, भाई-बहन, सत्यम शिवम् सुंदरम जैसी कई फिल्मों के लिए उन्होंने गीत लिखे। 1961 में आई फिल्म 'भाभी की चूड़ियां' के लिए उन्होंने ये गीत लिखा था। गीत 'ज्योति कलश छलके' बहुत लोकप्रिय हुआ-

ज्योति कलश छलके 

हुए गुलाबी-लाल-सुनहरे 

रंग दाल बादल के 

ज्योति कलश छलके 


1982 के एशियन गेम का थीम सांग भी पंडितजी ने ही लिखा- 


अथ स्वागतम, शुभ स्वागतम 

आनंद मंगल मंगलम 

नित प्रियं भारत भारतम

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