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पहली महिला सत्याग्रही थीं सुभद्रा कुमारी चौहान


यूँ तो सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्धि उनकी कविता "झाँसी की रानी" की वजह से है. लेकिन स्वाधीनता संग्राम में भी उनका विशेष योगदान रहा है जिसके बारे में कम की लोग जानते हैं. देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले क्रांतिवारियों में सुभद्रा कुमारी चौहान का योगदान अविस्मरणीय है. आइये जानते हैं उनके जीवन से जुडी कुछ विशेष बातें 


सुभद्रा कुमारी चौहान (16 अगस्त 1904 - 15 फरवरी 1948 ) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं. उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए. सुभद्रा कुमारी चौहान साहित्य सृजन के अलावा स्वाधीनता संग्राम की गतिविधियों में भी सामान रूप से सक्रीय रहीं है. देश प्रेम और देश सेवा का भाव उनके ह्रदय में बचपन से ही विद्यमान था. क्रांति और देश प्रेम का यह भाव उनकी कविताओं में स्पस्ट रूप से झलकता है. 


पहली "महिला सत्याग्रही" बन "स्थानीय सरोजिनी नायडू" के रूप में हुई चर्चित :- स्वतंत्रता के लिए महात्मा गाँधी द्वारा पूरे देश में सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा था. इसी क्रम में सन् 1922 में जबलपुर के ‘झंडा सत्याग्रह’ में शामिल होकर सुभद्रा कुमारी चौहान देश की पहली महिला सत्याग्रही बनी. स्वाधीनता के लिए रोज सभाये लगा करती थीं जिनमे सुभद्रा कुमार चौहान सक्रियता से हिस्सा लेती और अपने विचार रखती थीं. अपने क्रन्तिकारी स्वभाव के कारण वे स्थानीय सरोजिनी नायडू के रूप में भी चर्

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